बजरंग बाण एक ऐसा उपाय है, जो विशेष कार्य की सिद्धि के लिए ही पढ़ा जाता है. आपका कोई कार्य फंसा हुआ है, करियर में सफलता नहीं मिल रही है, किसी बड़े संकट में फंसे हुए हैं, भयंकर रोग से परेशान हैं, शत्रुओं से घिरे हैं, तो इन सबका एक उपाय है बजरंग बाण का पाठ.

संकटमोचन हनुमान जी का ध्यान करके मंगलवार को इसका पाठ करना चाहिए. मंगलवार को सुबह स्नान करके हनुमान जी को लाल फूल, लड्डू, सिंदूर, चमेली का तेल और लाल लंगोट चढ़ाएं. इसके बाद हनुमान जी के समक्ष पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएं. फिर सच्चे मन से संकटमोचन बजरंगबली का ध्यान करें और पूरी श्रद्धा से बजरंग बाण का पाठ करें. कम से कम 5 पाठ करना चाहिए. यहां जानें बजरंग बाण से होने वाले फायदे.

पंडित वशिष्ठ उपाध्याय कहते हैं कि बजरंग बाण का पाठ करने से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है. महावीर हनुमान की कृपा से कष्ट और दुख दूर हो जाते हैं. पवनपुत्र केसरीनंदन हनुमान सबके दुख हर लेते हैं. कलयुग के वे जाग्रत देवता हैं. धार्मिक मान्यता है कि वे आज भी पृथ्वी पर मौजूद हैं. जहां पर उनके प्रभु श्रीराम का स्मरण होता है, रामायण कथा होती है, वहां पर वे मौजूद होते हैं.

बजरंग बाण के फायदे
1. इसका पाठ करने से कोई रोग दोष नहीं होता है.

2. भूत प्रेत या कोई भी भय आपको परेशान नहीं करता है.

3. भगवान हनुमान प्राणों की रक्षा करते हैं, शत्रुओं से बचाते हैं, संकटों को दूर करते हैं.

4. कार्यों में सफलता प्राप्त होती हैं.

5. मनोकामाएं पूर्ण होती हैं.

बजरंग बाण
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान॥

चौपाई
जय हनुमंत संत हितकारी। सुन लीजै प्रभु अरज हमारी।
जनके काज बिलंब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।

जैसे कूदि सिंधु महिपारा। सुरसा बदन पैठि बिस्तारा।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुरलोका।

जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परमपद लीन्हा।
बाग उजारि सिंधु महँ बोरा। अति आतुर यमकातर तोरा।

अक्षय कुमार मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।
लाह समान लंक जरि गई। जय जय धुनि सुरपुर मह भई।

अब बिलंब केहि कारन स्वामी। कृपा करहु उर अंतरयामी।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होइ दुख करहु निपाता।

जय गिरिधर जय जय सुखसागर। सुर-समूह-समरथ भट-नागर।
ॐ हनु हनु हनु हनुमंत हठीले। बैरिहि मारु बज्र की कीले।

गदा बज्र लै बैरिहि मारो। महारज प्रभु दास उबारो।
ओंकार हुंकार महाबीर धावो। वज्र गदा हनु बिलम्ब न लावो।

ॐ ह्नीं ह्नीं ह्नीं हनुमंत कपीसा। ॐ हुं हुं हुं हनु अरि उर शीशा।
सत्य होहु हरि शपथ पायके। राम दूत धरु मारु जायके।

जय जय जय हनुमंत अगाधा। दुख पावत जन केहि अपराधा।
पूजा जप त​प नेम अचारा। नहिं जानत हौं दा तुम्हारा।

वन उपवन मग ​गिरिगृह माहीं। तुम्हरे बल हम डरपत नाहीं।
पांय परौं कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।

जय अंजनि कुमार बलवंता। शंकर सुवन वीर हनुमंता।
बदन कराल काल कुल घालक। राम सहाय सदा प्रति पालक।

भूत प्रेत पिशाच निशाचर, अग्नि बैताल काल मारीमर।
इन्हें मारु तोहिं सपथ राम की। राखु नाथ मरजाद नाम की।

जनक सुता हरिदास कहावो। ताकी सपथ विलंब न लावो।
जय जय जय धुनि होत अकाशा। सुमिरत होत दुसह दुख नाशा।

चरण-शरण कर जोरि मनावौं। यहि अवसर अब केहि गोहरावौं।
उठु-उठु चलु तोहिं राम दोहाई। पांय परौं कर जोरि मनाई।

ओम चं चं चं चं चपल चलंता। ओम हनु हनु हनु हनु हनुमंता।
ओम हं हं हांक देत कपि चंचल। ओम सं सं सहमि पराने खल दल।

अपने जन को तुरत उबारो। सुमिरत होत आनंद हमारो।
यहि बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहो फिर कौन उबारे।

पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करैं प्राण की।
यह बजरंग बाण जो जापै। तेहि ते भूत प्रेत सब कांपै।

धूप देय अरु जपै हमेशा। ताके तनु नहिं रहे कलेशा।

दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै, सदा धरै उर ध्यान।
तेहि के कारज शकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।