भोपाल ।   इंदौर-भोपाल राजमार्ग से चार किमी दूरी पर स्थित जावर में मां महिषासुर मर्दिनी मंदिर करीब चार सौ वर्ष पुराना है। जिसके चलते यह मंदिर ग्रामीणों के साथ-साथ कई दूसरे शहरों के लोगों के लिए भी आस्था का केंद्र है। यहां आने वाले कई लोगों की मनोकामना भी पूरी होती है। जिससे उनका विश्वास और श्रद्धा मां महिषासुर मर्दिनी में और भी ज्यादा हो जाती है।

यह है मंदिर का इतिहास

यहां कभी बियावान जंगल हुआ करता था। अंग्रेजों के शासन के समय एक बार कुछ लोग इसी जंगल में शरण लिए हुए थे। तब उन्हीं में से एक व्यक्ति को रात्रि में मां ने स्वप्न देकर कहा कि यहां से जा मत में तेरी रक्षा करूंगी। उसे यही पर गांव बसाने का आदेश दिया। कालांतर में यही जामत का अपभ्रंश जावर कहलाया। नवरात्र के समय यहां रात्रि में घुंघरूओं की आवाजे सुनाई देती है, जो आश्चर्य के साथ श्रद्धा का विषय है।

दुर्गा पूजा

यहां नवरात्र के समय मां महिषासुर मर्दिनी के दर्शन, पूजा-अर्चना के लिए सूर्योदय से रात तक श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सुवह से रात तक मातारानी तीन रूप बदलती हैं। सुबह बाल्यावस्था, दोपहार में प्रौढावस्था व शाम को वृद्धावस्था के दर्शन होते है। नवरात्र के दिनों में कई प्रशासनिक अधिकारी व राजनेता-मंत्री भी यहां अपनी मुरादें ले कर इस दरवार में मत्था टेकने आते हैं।

दूर-दराज आते हैं भक्त

इनका कहना 

यहां साल भर लोग दर्शन करने आते है। ग्राम के लोगों की तो विशेष आस्था है, लेकिन नवरात्र में यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु दूर-दराज से आते हैं। मातारानी उनकी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।

- पंडित दत्तप्रसाद शर्मा, पुजारी

मां महिषासुर मर्दिनी तत्काल फल प्रदान करती है। संपूर्ण जावर नगर की रक्षा करती है। यहां भंडारे मे प्रसाद की कभी कमी नही होती है। यह एक सिद्ध मंदिर है। मां महिषासुर मर्दिनी के नवरात्र में तीन रूप दिखाई देते हैं।

- प्रहलाद दास अजमेरा, श्रद्धालु