धर्म नगरी चित्रकूट में आज हम आप को एक ऐसे वृक्ष के बारे ने बताने जा रहे हैं. मान्यता है कि इस वृक्ष की पूजा करने से सूनी गोद में किलकारियां गुजने लगती हैं. यहां संतान की चाह रखने वाले जोड़ों का हर अमावस्या और दीपावली के पर्व के समय मेला लगता है. मान्यता है कि जो भी इस वृक्ष की पूजा करता है, उसको संतान की प्राप्ति हो जाती है.

500 साल पुराना है यह कल्प वृक्ष

आपको बता दें कि धर्म नगरी चित्रकूट के कांच के मंदिर के समीप एक 500 वर्ष पुराना पुत्र दायनी वृक्ष है. यहां दूर-दूर से संतान न होने से निराश लोग आते हैं और यहां आकर इस वृक्ष की पूजा अर्चना करते हैं. उसके बाद पुजारी उन्हें इस वृक्ष की पत्तियां देते हैं.  मान्यता है कि वृक्ष की पूजा अर्चना करने के बाद संतान की प्राप्ति होती है.

रीवा के राजा की नहीं हो रही थी संतान
वृक्ष के पुजारी राघवेंद्र पांडे ने बताया कि यह वृक्ष वैष्णो संप्रदाय का है. जिसको लक्ष्मी नारायण मंदिर प्रमोद वन पुत्र जीवन कल्प वृक्ष बोला जाता है. उन्होंने बताया कि रीवा के राजा विश्वनाथ प्रताप की कोई संतान नहीं हो रही थी, तभी रीवा के राजा इसको बद्री नारायण से सोने की पालकी में अखंड कीर्तन कर पैदल नंगे पैर लेकर आए और मंदाकिनी नदी के किनारे इसकी स्थापना की. स्थापना के बाद उनका पुत्र रघुराज नारायण पैदा हुआ.जब उनको संतान की प्राप्ति हुई, तब उन्होंने संतान प्राप्ति के उपलक्ष्य में 507 कोठरी बनवाई थी.

एक से डेढ़ साल में हो जाती है मन्नत पूरी

पुजारी ने आगे जानकारी देते हुए बताया कि जिसके बाल बच्चे नहीं होत हैं. उन सभी महिलाओं के द्वारा यहां पूजा अर्चना करने के बाद एक से डेढ़ वर्ष के अंदर उनकी मान्यता पूरी हो जाती है. संतान प्राप्ति के बाद भक्त यहां भंडारा भी करते हैं. उन्होंने बताया कि यह वृक्ष 500 साल पुराना है और यह हमेशा हरा भरा रहता है.