हिन्दू कैलेंडर के सबसे पवित्र महीना में से एक ज्येष्ठ महीना शुरू हो चुका है. इस महीने में भगवान विष्णु, शनि देव और हनुमान जी की पूजा करने और जलदान को बहुत शुभ माना गया है. इस माह में विभिन्न जगह प्याऊ और वाटर कूलर लगाए जाएंगे. मंदिरों में जल विहार की झांकियां सजाई जाएगी.

ठाकुरजी को आम, लीची, पपीता, मिश्री मावा, गुलकंद आदि ठंडक प्रदान करने वाली खाद्य सामग्री का भोग लगाया जाएगा. पंडित घनश्याम शर्मा ने लोकल 18 को बताया कि धार्मिक दृष्टि से ज्येष्ठ माह के शुरुआती दिन बेहद खास है, क्योंकि इस दौरान दोनों प्रभावशाली ग्रह गुरु और सूर्य का राशि परिवर्तन हो रहा है.

पांच मंगलवार, देंगे कृपा अपार
पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि ज्येष्ठ माह में पांच मंगलवार होंगे. यह पांचों मंगलवार हनुमानजी की कृपा पाने के लिए विशेष दिन हैं. इन दिनों में किया गया दान, विशेष रूप से प्यासे को जल पिलाना, शरबत वितरण, अन्न सेवा और सेवा कार्य विशेष पुण्यदायी होते हैं. हनुमानजी की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए बजरंग बली को सिंदूर, केसर, पान का पत्ता, लौंग, इलायची, गुलाब और कमल पुष्प अर्पित किए जाएंगे, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ होंगे.

मंगलवार को हुई थी श्रीराम से भेंट
पंडित घनश्याम शर्मा ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान श्रीराम, माता सीता की खोज में वन में भटक रहे थ, तब उनकी पहली मुलाकात हनुमानजी से हुई. हनुमानजी उस समय एक ब्राह्मण के रूप में राम और लक्ष्मण से मिले थे. यह भेंट ज्येष्ठ महीने के मंगलवार को हुई थी. इसलिए इस दिन की विशेष मान्यता होती है और इस दिन से ही भगवान राम और हनुमानजी के अटूट संबंध की शुरूआत मानी जाती है.

ज्येष्ठ माह दान-पुण्य करने का महत्व
कि यह माह दान-पुण्य करने के लिए विशेष फलदायी माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, ज्येष्ठ में दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है. इस माह में जलदान, अन्नदान, वस्त्रदान और छत्र-चप्पल दान का विशेष महत्व है. गर्मी के इस मौसम में प्यासे को जल देना, भूखे को भोजन कराना और गरीबों को वस्त्र देना अत्यंत पुण्यकारी माना गया है.

मान्यता है कि इस माह में किया गया दान सीधे भगवान विष्णु को प्राप्त होता है. ज्येष्ठ की पूर्णिमा को “वट सावित्री व्रत” भी मनाया जाता है, जिसमें सुहागिनें अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखती हैं और दान करती हैं. इस प्रकार, ज्येष्ठ माह में दान-पुण्य करने से आध्यात्मिक लाभ के साथ-साथ सामाजिक कल्याण भी होता है.