बिलासपुर। नवरात्रि पर्व आज से शुरू हो गया है शहर के मंदिरों में घट स्थापना के साथ ही विशेष पूजा अर्चना की जा रही है। आज महामाया देवी रतनपुर में 29 हजार ज्योति कलश प्रज्जवलित किए गए तथा 50 हजार से अधिक श्रद्धालु यहां माता के दर्शन करने पहुचे है। जगह-जगह दुर्गा पूजा पंडाल में दुर्गा माता की प्रतिमा विराजी जा रही है।
आज शाम शहर के मंदिरों में महाआरती की जाएगी और गाजे बाजे के साथ देवी मां की प्रतिमा स्थापित की जा रही है । महामाया मंदिर रतनपुर में ज्योति क्रश के साथ पूजा अर्चना शुरू हो गई है आज नवरात्रि के पहले दिन यहां श्रद्धालुओं की लंबी कटारे लगी हुई है शहर में भी एवं आसपास ग्रामीण क्षेत्रों में नवरात्रि पर्व की धूम है काली मंदिर त्रिपुरा में ज्योति कलश पर जीवित किए गए हैं श्रद्धालु महिलाएं सुबह से ही कतार लगी रही । वहीं हरदेवलाल मंदिर गोल बाजार , महामाया मंदिर गणेश नगर, दुर्गा मंदिर तोरवा, नवदुर्गा मंदिर दयालबंद, चिंगराजपारा दुर्गा मंदिर तथा हरदेव लाल मंदिर गोल बाजार में विशेष पूजा अर्चना की जा रही है। घट स्थापना के साथ आरती की गई है। आज शाम यहां महा आरती की जाएगी काली मंदिर तिफरा में मेला सा लगा है और जगह-जगह जगराता का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहे हैं। आज से टिकरापारा गुजराती मंदिर में रास गरबा भी शुरू हो रहा है। वही अनेक जगह में रास गरबा की तैयारी की गई है। आज गोडपारा में गाजेबाजे के साथ देवी मां की प्रतिमा स्थापित की तैयारी की जा रही है।
तेलीपारा मसानगंज तोरवा, जूना बिलासपुर, दयालबंद में नवरात पूजा की तैयारी की जा रही है। जगह-जगह आकर्षक पंडाल बनाए जा रहे हैं। आदर्श दुर्गा उत्सव समिति गोडारा तथा तथा नवयुवक दुर्गा पूजा समिति गोल बाजार में भी आकर्षक पंडाल बनाए जा रहे हैं। सिंह वाहिनी दुर्गा उत्सव समिति शिवटाकीज चौक में भी पांडाल तैयार किया गया है। चंद्रशेखर आजाद दुर्गा उत्सव समिति तेलीपारा में भी आकर्षक झांकी बनाई जाएगी वही नवीन दुर्गा पूजा समिति तेलीपारा में भी पूजा की तैयारी की जा रही है। वही दयालबंद तोरबा में भी आकर्षक विद्युत सजावट के साथ तैयारी की जा रही है । महामाया देवी में आज भाजपा प्रदेश अध्यक्ष अरूण साव तथा पर्यटन बोर्ड के अध्यक्ष अटल श्रीवास्तव ने पूजा अर्चना की तथा सरकार बनने जीत एवंप्रदेश की खुशहाली की कामना की।
सतबहिनिया मंदिर बंधवापारा में  ज्योति कलश प्रज्वलित
आदि शक्ति मॉं दुर्गा के आराधना का पर्व रविवार यानी आज से शुरू हो गया है और पर्व के पहले दिन से ही माता के देवालयों में भक्तिमय वातावरण के बीच विधिविधान से पूजा आरती व देवी की उपासना शुरू हो गई है जो कि पूरे नौ दिनों तक कायम रहेगी। बंधवापारा सरकंडा स्थित मां सतबहिनिया मंदिर में भी शारदीय नवरात्रि पर आज सुबह पंडित हरिगोपाल चौबे के हाथों सभी सदस्यों की उपस्थिति में ज्योति कलश प्रज्वलित की गई। इस वर्ष 480 से ज्यादा घृत और तेल ज्योति कलश मनोकामना स्वरूप प्रज्वलित किया गया है। मां जनकल्याण सेवा समिति और आकृति महिला मंडल के द्वारा पूरे मंदिर परिसर को स्वच्छता ही सेवा अभियान के तहत सफाई की गई।समिति के सचिव डॉ शंकर यादव ने जानकारी दी कि इस अवसर पर प्रति वर्षानुसार सवा लाख गायत्री महामंत्र का जाप भी किया जा रहा है। जाप में गीता पब्लिक स्कूल, विद्या निकेतन व शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला के विद्यार्थी अपने स्कूल के प्रभारी शिक्षको के साथ भाग लेंगे, जाप का समय आधा आधा घंटे की पालियों में सुबह 6 बजे से 8.30 बजे तक रखा गया है। पूरी व्यवस्था में अध्यक्ष पं हरिगोपाल चौबे, जी आर देवांगन,लव प्रसाद शराफ, शंकरलाल पाटनवार, लखन सिंह राजपूत, छोटे लाल ठाकुर, झरोखा चंद्राकर, सिद्धेश्वर पाटनवार, केके चंद्राकर,टीकम साहू,सुनील यादव, संदीप कश्यप आदि उपस्थित थे।
पीतांबरा पीठ में 115 घृत ज्योति कलश प्रज्वलित
सरकण्डा स्थित श्री पीताम्बरा पीठ त्रिदेव मंदिर में शारदीय नवरात्र उत्सव हर्षोल्लास के साथ धूमधाम से मनाया जा रहा है। पीताम्बरा पीठ के पीठाधीश्वर आचार्य डॉ. दिनेश जी महाराज ने बताया कि त्रिदेव मंदिर में नवरात्र के प्रथम दिन प्रात:कालीन श्री ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का विशेष पूजन श्रृंगार शैलपुत्री देवी के रूप में किया गया।श्री शारदेश्वर पारदेश्वर महादेव का महारुद्राभिषेक, महाकाली महालक्ष्मी महासरस्वती देवी का षोडश मंत्र द्वारा दूधधारिया पूर्वक अभिषेक किया गया।परमब्रह्म मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम जी का पूजन एवं श्रृंगार किया जा रहा है।श्री मनोकामना घृत ज्योति 115 कलश अभिजीत मुर्हूत 11:30 से 12:30 मध्यान्ह मे प्रज्ज्वलित किया गया।तत्पश्चात ध्वजारोहण,ज्वारोपणम् किया गया।श्री दुर्गा सप्तशती पाठ एवं श्री पीताम्बरा हवनात्मक यज्ञ रात्रिकालीन प्रतिदिन रात्रि 8:30 बजे से रात्रि 1:30 बजे तक निरंतर चलता रहेगा तत्पश्चात महाआरती रात्रि 1:30 बजे किया जा रहा है। नवरात्रि के दूसरे दिन ब्रह्मशक्ति बगलामुखी देवी का ब्रह्मचारिणी देवी के रूप में पूजन श्रृंगार आराधना किया जाएगा नवरात्र के दूसरे दिन माँ ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा की जाती है। उन्हें त्याग और तपस्या की देवी माना जाता है। शास्त्रों में माँ ब्रह्मचारिणी को वेद-शास्त्रों और ज्ञान की ज्ञाता माना गया है। माँ ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत भव्य और तेजयुक्त है। माँ ब्रह्मचारिणी के धवल वस्त्र हैं। उनके दाएं हाथ में अष्टदल की जपमाला और बाएं हाथ में कमंडल सुशोभित है।भगवती ने भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए एक हजार वर्षों तक फलों का सेवन कर तपस्या की थी। इसके पश्चात तीन हजार वर्षों तक पेड़ों की पत्तियां खाकर तपस्या की। इतनी कठोर तपस्या के बाद इन्हें ब्रह्मचारिणी स्वरूप प्राप्त हुआ। साधक और योगी इस दिन अपने मन को माँ के श्री चरणों मे एकाग्रचित करके स्वाधिष्ठान चक्र में स्थित करते हैं और माँ की कृपा प्राप्त करते हैं। ब्रह्म का अर्थ है, तपस्या, तप का आचरण करने वाली भगवती, जिस कारण उन्हें ब्रह्मचारिणी कहा गया है। साधक अनेक प्रकार से भगवती की अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए व्रत-अनुष्ठान व साधना करते हैं। कुंडलिनी जागरण के साधक इस दिन स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत करने की साधना करते हैं। माँ दुर्गाजी का यह दूसरा स्वरूप भक्तों और सिद्धों को अनन्तफल देने वाला है।माँ ब्रह्मचारिणी की उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है।