वाराणसी । ज्ञानवापी परिसर के सर्वे की रिपोर्ट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की ओर से आज वाराणसी के जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में जमा नहीं हो पाई। केंद्र सरकार के स्पेशल गवार्निंग काउंसिल अमित श्रीवास्तव ने कहा  कि अभी रिपोर्ट तैयार नहीं हो सकी है। 15 दिन का अतिरिक्त समय देने के लिए हमने अदालत में आवेदन दिया है। लेकिन उस पर भी जिला जज की अदालत में सुनवाई नहीं हो सकी। मामले पर अब शनिवार यानी 18 नवंबर को सुनवाई होगी। एक अधिवक्ता के निधन के कारण एएसआई के आवेदन पर सुनवाई टली। शनिवार को ही शैलेन्द्र पाठक की ओर से व्यास जी की गद्दी डीएम को सुपुर्द किये जाने के वाद पर भी सुनवाई होनी है। 
माना जा रहा है कि अलग-अलग स्थानों से आई टीमों और त्योहारों के  अवकाश के कारण रिपोर्ट तैयार होने में देरी हुई है। जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने बीते 21 जुलाई को ज्ञानवापी परिसर (सील वजूखाने को छोड़ कर) के सर्वे का आदेश एएसआई को दिया था। 24 जुलाई से एएसआई की टीम ने सर्वे का काम शुरू किया था। दो नवंबर को एएसआई ने अदालत को बताया कि सर्वे पूरा हो चुका है। रिपोर्ट तैयार करने के लिए 15 दिन का समय और चाहिए। अदालत ने 17 नवंबर तक सर्वे रिपोर्ट  दाखिल करने का आदेश दिया। ज्ञानवापी में सर्वे करने वाली टीम में एएसआई के देश भर के विशेषज्ञ शामिल हुए थे। डिप्टी डायरेक्टर डॉ. आलोक कुमार त्रिपाठी के नेतृत्व में सारनाथ, प्रयागराज, पटना, कोलकाता और दिल्ली के पुरातत्व विशेषज्ञों ने सर्वे का काम किया। जीपीआर तकनीक से अध्ययन के लिए हैदराबाद से विशेषज्ञों का दल आया था। 21 जुलाई के अदालत के आदेशानुसार एएसआई को अपनी रिपोर्ट के माध्यम से यह बताना है कि क्या ज्ञानवापी में मंदिर को ध्वस्त कर उसके ऊपर मस्जिद बनाई गई है? वहीं, सर्वे के दौरान साक्ष्य के रूप में मिली 250 सामग्रियां अदालत के आदेश से छह नवंबर को एडीएम प्रोटोकॉल की देख-रेख में कोषागार के डबल लॉक में रखवाई गई थी।