भोपाल । विधानसभा चुनाव करीब आते देख भाजपा संगठन ने सक्रियता बढ़ा दी है। इसके चलते मुख्यमंत्री निवास में शनिवार शाम को पार्टी के कोर ग्रुप की बैठक हुई। बैठक में मौजूद पार्टी नेताओं को देखते हुए कहा जा रहा है कि अब रेत मुठ्ठी से फिसल रही है जिसे रोकने की जुगत भिड़ाई जा रही है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव इसी वर्ष होने हैं, ऐसे में भाजपा संगठन ने चुनावी तैयारियों के तहत गतिविधियां तेज कर दी हैं। इसी क्रम में शनिवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर पार्टी के कोर ग्रुप की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक के जरिये जहां रूठे नेताओं को मनाने और दूरी बना चुके कद्दावर नेताओं को साधने का काम किया जाएगा वहीं नाराज चल रहे लोगों को खाली निगम-मंडलों एवं अन्य जिम्मेदारी सौंपने पर भी चर्चा होने की उम्मीद जताई जा रही है। इनमें कुछ मंत्रियों को जिलों के प्रभार से भी नवाजा जा सकता है। 
इसके अतिरिक्त लाडली बहना योजना और बूथ विस्तारक अभियान पर ध्यान केंद्रित करने और एक बड़े मतदाता वर्ग को साधने पर भी चर्चा होने की उम्मीद जताई गई है। सवाल यही उठ रहा है कि क्या इन तमाम जुगत से मुठ्ठी से फिसल चुके कद्दावर नेता ठहर जाएंगे या कोई और जुगत भिड़ानं पर शिवराज सरकार व संगठन को मजबूर होना पड़ेगा। 

बैठक में पहुंचे कद्दावर नेता 
कोर ग्रुप की बैठक में शामिल होने के लिए कांग्रेस से भाजपा में शामिल होने वाले केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर एवं वरिष्ठ पार्टी नेता कैलाश विजयवर्गीय भोपाल पहुंचे। इन नेताओं का जगह-जगह गर्मजोशी से पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया। संघ कार्यालय पहुंचने के कुछ देर बाद ही ये नेता विधायक रामेश्वर शर्मा के घर भी गये थे, जिस पर कानाफूसी शुरू हो गई। इनके अतिरिक्त बैठक में केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते, वीरेंद्र खटीक,  प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, प्रहलाद पटेल समेत राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिव प्रकाश, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन मंत्री हितानंद समेत कोर गु्प के सदस्य शामिल हैं। 

चर्चा के विषय 
बैठक में जिन विषयों को लेकर चर्चा की जानी है, उनमें प्रमुख रूप से चुनाव साधने वाले नेताओं पर ध्यान केंद्रित करना है। इसके साथ ही जिले के प्रभार वाले मंत्रियों की स्थिति पर विशेष चर्चा के कयास हैं। समय-समय पर अपने प्रभार वाले जिलों का दौरा नहीं करने वाले मंत्रियों को भी नापा जा सकता है। गौरतलब है कि चुनाव के मद्देनजर ज्यादातर मंत्रियों को अपने जिलों में रहने की सख्त हिदायत मुख्यमंत्री शिवराज पहले भी दे चुके हैं। ऐसे में ज्यादातर मंत्री अपने गृह जिले में है। इसलिए जिलों के प्रभार वाले मंत्रियों की अदला-बदली पर चर्चा की जा सकती है। इनके अतिरिक्त कुछ निगम मंडलें में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की नियुक्ति पर भी चर्चा कर रूठों को मनाया जा सकता है।