वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ने से 84 घाटों का संपर्क फिर टूट गया है। अब सीढ़ियों के सहारे एक घाट से दूसरे घाट तक जाने में दिक्कत हो रही है। गलियों से आवागमन करना पड़ रहा है। श्री काशी विश्वनाथ धाम तक जाने वाला गंगा द्वार आम श्रद्धालुओं के लिए बंद कर दिया गया है। गंगा आरती का स्थल बदल गया। यह तीसरा मौका है, जब घाटों का आपसी संपर्क टूटा है। केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक, प्रति घंटा चार सेंटीमीटर की रफ्तार से जलस्तर बढ़ रहा है।

पहाड़ी और मैदानी क्षेत्रों में बारिश से गंगा का जलस्तर तेजी से बढ़ा है। शनिवार सुबह गंगा का जलस्तर 63.68 मीटर रिकॉर्ड किया गया था, जो रात आठ बजे तक 63.96 मीटर हो गया। जलस्तर बढ़ने का सिलसिला जारी है। देर शाम तक ही सभी घाटों की सीढ़ियां जलमग्न हो गईं और उनका आपसी संपर्क टूट गया। जलस्तर बढ़ने से तीर्थ पुरोहित और नाविकों की चिंता बढ़ गई है। नाविकों ने अपनी छोटी नावों को किनारे पर बांध दिया है। जल पुलिस ने सतर्कता बढ़ा दी है। जलस्तर और बढ़ा तो नावों का संचालन बंद किया जा सकता है। 

बारिश का सिलसिला जारी रहा तो बाढ़ का खतरा

केंद्रीय जल आयोग के मुताबिक, नरौरा बांध, हरिद्वार व गंगा बैराज कानपुर से पानी छोड़ा गया है। गंगा बैराज से छोड़ा गया पानी 20 या फिर 21 सितंबर तक वाराणसी पहुंच जाएगा। इससे जलस्तर और बढ़ सकता है। पहाड़ों और मैदानी क्षेत्रों में बारिश का सिलसिला जारी रहा तो बाढ़ की चुनौती बढ़ जाएगी।

रोजाना आते हैं तीन लाख श्रद्धालु

काशी की अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में गंगा घाटों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। रोजाना करीब तीन लाख लोग घाटों पर गंगा स्नान, पूजा व पाठ के लिए पहुंचते हैं। नावों की सवारी करते हैं। गंगा आरती देखते हैं। जलस्तर बढ़ने के साथ ही श्रद्धालुओं की संख्या कम हो जाएगी।

शीतला मंदिर तक पहुंचा था पानी

बाढ़ का पानी शीतला मंदिर तक पहुंचा था। अब पानी कम होने का सिलसिला शुरू हुआ था, लेकिन बारिश से स्थिति बिगड़ गई। घाटों पर गाद की सफाई शुरू हुई थी, लेकिन बढ़ते जलस्तर ने राह रोक दी। अब जलस्तर कम होने के बाद ही सफाई की जा सकेगी।