नई दिल्ली । रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू हुए एक साल से ज्यादा समय हो गया हैं। दोनों देशों के बीच जारी संघर्ष पर कहीं विराम लगता नहीं दिखाई देता है। दोनों ही पक्ष पूरी आक्रामकता के साथ एक दूसरे से मोर्चा ले रहे हैं। इस युद्ध को लेकर अब दुनिया भी दो हिस्सों में विभाजित होती जा रही है। भारत में आयोजित हो रहे जी-20 समिट में भी इसे लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। 
दरअसल अमेरिका समेत ज्यादातर पश्चिमी देश यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की निंदा करने की बात कर रहे हैं, वहीं भारत रूस और चीन इस बयान के साथ नहीं खड़े दिख रहे हैं। यही वजह है कि बैठक के बाद कोई संयुक्त बयान जारी नहीं किया गया है। 
दरअसल, शनिवार को बेंगलुरु में जी20 के वित्तीय प्रमुखों की बैठक हुई। बैठक बिना संयुक्त बयान जारी किए ही खत्म हो गई। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर देशों के बीच मतभेद के चलते स्टेटमेंट जारी नहीं किया गया। साधारण शब्दों में समझें तो रूस के यूक्रेन पर हमले को भारत युद्ध की जगह संघर्ष या विवाद कह रहा है, वहीं अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देश इसे युद्ध कह रहे हैं। इसी मतभेद की वजह से बैठक के बाद कोई बयान जारी नहीं किया गया।
इसके अलावा रूसी हमले को लेकर अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों ने जी-20 के मंच से रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने का प्लान बनाया था, लेकिन इस मुद्दे को जी-20 में चर्चा के लिए रखने के पक्ष में चीन और रूस नहीं थे। वहीं भारत जी 20 की मेजबानी कर रहा है। भारत ने भी इसे लेकर कहा कि जी20 के मंच पर इस तरह के मुद्दों पर चर्चा नहीं होनी चाहिए। इस मसले को चुनौती, संकट या संघर्ष जैसे शब्दों से परिभाषित किया जाना चाहिए। 
इस बैठक में मैक्सिको और तुर्की के अलावा रूस और चीन के वित्तमंत्री सशरीर मौजूद नहीं थे। अधिकारियों ने बताया कि चीन और रूस स्टेटमेंट में से वे दो पैरा हटाना चाहते थे, जिस पर मतभेद था। अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश सदस्यों ने यूक्रेन में युद्ध की कड़ी निंदा करने के साथ इस पर जोर दिया कि यह अत्यधिक मानवीय पीड़ा पैदा कर रहा है और वैश्विक अर्थव्यवस्था में मौजूदा कमजोरियों को बढ़ा रहा है। इस पैरा पर रूस और चीन सहमत नहीं थे। वहीं भारत ने भी इस मुद्दे को युद्ध जैसे शब्दों से परिभाषित करने का समर्थन नहीं किया।