नई दिल्ली । जर्मनी के चांसलर ओलाफ शोल्ज दो दिवसीय दौरे पर भारत आए हैं। इस दौरान शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनसे मुलाकात की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में शोल्ज के साथ बैठक की। करीब एक घंटे तक चली बैठक के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जर्मन चांसलर शोल्ज ने संयुक्त रूस से प्रेस को संबोधित किया। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मन चांसलर को उपहार के तौर पर मेघालय स्टोल और नागा शॉल भी भेंट की। इस तोहफे को बहुत ही खास माना जा रहा है। मेघालय के स्टोल का एक समृद्ध इतिहास है। मेघालय के स्टोल की बुनाई पीढ़ियों से एक प्राचीन परंपरा रही है। इन स्टोल को खास अवसरों और त्योहारों के दौरान पहना जाता है। इन स्टोल के डिजाइन और रंग शाही परिवार के धन और प्रतिष्ठा को दर्शाते थे। खासी और जयंतिया राजा सद्भावना के तौर पर अक्सर इन स्टॉल को अन्य शासकों को भेंट करते थे। 
स्टोल में इस्तेमाल किए गए डिजाइन शाही परिवार के विश्वासों और मिथकों को दर्शाते थे और उनकी सांस्कृतिक विरासत के लिए एक वसीयत के तौर पर थे। स्टोल स्थानीय रूप से प्राप्त ऊन और प्राकृतिक रंगों का उपयोग करके बनाए जाते हैं। अपनी गर्माहट और कोमलता के लिए मेघालय का स्टोल दुनियाभर में लोकप्रिय है। अधिकांश तौर पर महिलाएं इन स्टोल को तैयार करती हैं। इसे तैयार करने में कई घंटे लग जाते हैं। क्योंकि इसकी बुनाई में पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं नागा शॉल कपड़ा कला का एक बेहद खूबसूरत रूप है, जिसे नागालैंड में जनजातियों द्वारा सदियों से बुना जाता रहा है। नागा शॉल केवल एक कपड़े का टुकड़ा नहीं बल्कि नागाओं की सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक है। हर शॉल की अपनी एक कहानी है, जो जनजाति का इतिहास, विश्वास और जीवन का तरीका दर्शाती है। ये शॉल स्थानीय सामान जैसे कि कपास, रेशम और ऊन से बनाए जाते हैं। 
नागालैंड की इस खास शॉल को अपने जीवंत रंग, जटिल डिजाइन और ट्रेडिशनल बनाई तकनीकों के लिए जाना जाता है। इसकी डिजाइन जनजाति के मिथकों किंवदंतियां और विश्वास से प्रेरित हैं। नागालैंड के लोगों का मानना है कि रंगों का उनके जीवन और कल्याण पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जैसे कि लाल रंग साहस का प्रतीक है, काला शोक का प्रतीक है, सफेद शुद्धता का प्रतीक है और हरा विकास व समृद्धि का प्रतीक है। इनका उपयोग कंबल के रूप में भी किया जाता है। नागा शॉल बहुत लंबे समय तक चलते हैं और इसके लिए भी प्रसिद्ध हैं। ये कई पीढ़ियों तक चल सकते हैं।