17 अप्रैल यानी चैत्र माह शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को का चैत्र नवरात्रि का समापन हो जाएगा. नवरात्रि के 9 दिनों में भगवती को प्रसन्न करने के लिए कई भक्त नौ दिनों का व्रत भी रखते हैं. जैसे नवरात्रि के व्रत का महत्व है, वैसे ही व्रत का पारण भी खास होता है. यदि विधि पूर्वक पारण न किया जाए तो साधना असफल हो सकती है. कई बार देखा गया कि नौ दिन तक व्रत रहने वाले भक्त कंफ्यूज रहते हैं कि पारण नवमी को करें या दशमी को? तो आइए आपको इस बार पारण की सही तिथि और मुहूर्त बताते हैं…

देवघर के पागल बाबा आश्रम स्थित मुद्गल ज्योतिष केंद्र के प्रसिद्ध ज्योतिषाचार्य पंडित नंदकिशोर मुद्गल ने Local 18 को बताया कि 17 अप्रैल को चैत्र नवरात्रि का समापन होने वाला है. इसी दिन नवमी तिथि भी है. लेकिन, नौ दिनों तक व्रत रहने वाले भक्त पारण चैत्र नवरात्रि की दशमी तिथि को करें. नवरात्रि की नवमी को मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. माता की पूजा के बाद कन्या पूजन किया जाता है. इसके बाद हवन करना चाहिए. इस दिन व्रत का पारण करने से नौ दिन की व्रत साधना पूर्ण नहीं मानी जाती.

इसलिए दशमी को करें पारण
नवरात्रि के व्रत का परण दशमी को करना श्रेष्ठ बताया गया है. नवरात्रि की पूजा में जितना महत्व व्रत का होता है, उससे भी ज्यादा खास महत्व पारण का होता है. आप अगर पारण सही समय पर नहीं करते हैं तो वह व्रत सफल नहीं माना जाता है. पारण के भी कुछ अलग नियम होते है. व्रत का पारण खोलते समय नियमों का पालन अवश्य करें. वहीं नवमी पर तिथि मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. मां सिद्धिदात्री नौ दिनों के साधना का फल देने वाली हैं, इसलिए नवमी को भी व्रत रहकर उनकी साधना करनी चाहिए.
पारण का शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि की नवमी तिथि की शुरुआत 16 अप्रैल दोपहर 2 बजकर 42 से हो चुकी है. वहीं इस तिथि का समापन 17 अप्रैल दोपहर 3 बजकर 16 मिनट पर होगा. इसके बाद दशमी तिथि की शुरुआत 17 अप्रैल दोपहर 3 बजकर 16 मिनट से होगी. हालांकि, उदया तिथि के अनुसार, दशमी 18 अप्रैल को ही मानी जाएगी. वहीं, यदि कोई इमरजेंसी है तो भक्तजन नवमी के दिन यानी 17 अप्रैल दोपहर 3 बजकर 16 मिनट के बाद सूर्यास्त से पहले पारण कर सकते हैं. तब तक दशमी तिथि लग जाएगी.


क्या खाकर करें पारण
पारण करने का भी कुछ नियम होता है. पूजा समाप्ति हो जाने के बाद स्नान करके ही पूजा में जो भोग लगाया जाता है, उसी प्रसाद से आप पारण करें. इससे माता दुर्गा प्रसन्न होती है और भक्त पर कृपा बरसाती है.