नई दिल्ली । गुजरात कांग्रेस के प्रवक्ता जयराजसिंह परमार ने  पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी ने उन्हें लंबे समय तक दरकिनार कर दिया और यह कुछ चुनिंदा नेताओं की निजी संपत्ति बन गई है जो चुनाव भी नहीं जीत सकते। गुजरात में सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने की अटकलों के बीच परमार ने कहा कि वह अपनी भविष्य की योजनाओं को बाद में साझा करेंगे। मालूम हो कि राज्य में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं। फेसबुक पेज पर अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए परमार ने एक पोस्ट लिखा। इसमें उन्होंने राज्य पार्टी इकाई के कामकाज पर गुस्सा जताया। परमार ने कहा कि उन्हें पार्टी संगठन में उनकी क्षमता से मेल खाने वाले किसी भी "सम्मानजनक पद" की पेशकश नहीं की गई थी और पिछले 10 वर्षों से जानबूझकर दरकिनार कर दिया गया था। उन्होंने कभी शिकायत नहीं की और इन सभी वर्षों में प्रतिबद्ध रहे। परमार ने कहा, "मैंने 2007, 2012, 2017 (चुनाव) और 2019 (उपचुनाव) में मेहसाणा की खेरालू विधानसभा सीट से टिकट मांगा था, लेकिन मुझे टिकट नहीं दिया गया। इसके बावजूद मैं प्रतिबद्ध रहा। मैंने कांग्रेस नेताओं का ध्यान पार्टी की आंतरिक व्यवस्था में खामियों की ओर आकर्षित किया। लेकिन, पार्टी अपने कामकाज में बदलाव करने को तैयार नहीं है। इसलिए मेरे पास पार्टी छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है। परमार ने कहा कि वह 37 साल तक कांग्रेस के प्रतिबद्ध कार्यकर्ता रहे और गुजरात में पार्टी को जिंदा रखने के लिए अपने निजी और पेशेवर जीवन का बलिदान दिया। उन्होंने कहा, "लेकिन अब मैं थका हुआ महसूस कर रहा हूं। हालांकि कांग्रेस 27 साल से (गुजरात में) सत्ता से बाहर है, आपको वही पुराने नेता शो चलाते हुए मिलेंगे। उन्होंने दावा किया कि जो अपनी सीट नहीं बचा सके, उन्हें पूरे राज्य का संरक्षक बना दिया जाता है। कांग्रेस 5 से 25 नेताओं की निजी संपत्ति बन गई है, जो अगली पीढ़ी के नेताओं को जिम्मेदारी देने को तैयार नहीं हैं।