उत्तर प्रदेश के कानपुर में तैनात रहे एसीपी मोहसिन खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ से राहत मिली है. हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने एसीपी के निलंबन पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. कोर्ट ने दूसरी महिला से संबंध होने को नौकरी के खिलाफ कदाचार की श्रेणी में नहीं माना. कोर्ट के आदेश के बाद एसीपी के खिलाफ हुई विभागीय जांच पर भी सवाल उठ गया है.

जस्टिस करुणेश सिंहपवार की एकल पीठ ने मोहम्मद मोहसिन खान की याचिका पर यह फैसला सुनाया. उन्होंने सरकार से मामले में चार हफ्तों में प्रत्युत्तर हलफनामा दाखिल करने को कहा है. साथ ही वादी को उसके जवाब में अगले दो हप्ते में हलफनामा दाखिल करना होगा. मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होगी. वरिष्ठ अधिवक्ता एलपी मिश्र ने बताया कि कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान माना कि दूसरी महिला से संबंध होना कदाचार की श्रेणी में नहीं आता.

दूसरी महिला के साथ संबंध होना कदाचार नहीं
एलपी मिश्र ने बताया कि उप्र सरकारी सेवक आचरण नियमावली 1956 के अनुसार शादीशुदा व्यक्ति का किसी दूसरी महिला से शादी करना कदाचार है और इसके आधार पर उसके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है, जबकि दूसरी महिला के साथ संबंध होना कदाचार नहीं माना जा सकता. बता दें कि लखनऊ निवासी मोहसिन खान 2013 के आईपीएस ऑफिसर हैं. कानपुर में तैनाती के दौरान उन्होंने देश के प्रतिष्ठित संस्थान आईआईटी में क्रिमनोलॉजी का कोर्स ज्वाइन किया था.

आईआईटी की छात्रा ने लगाया था दुष्कम का आरोप
आईआईटी में पढ़ने वाली एक छात्रा ने उनके खिलाफ दुष्कम का आरोप लगाकर मामला दर्ज कराया था. मामले में उनके खिलाफ जांच के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था. हाईकोर्ट के आदेश के अनुसार अगर कदाचार का मामला ही नहीं बनता है, तो उनके खिलाफ विभागीय जांच कों क्या आधार बनेगा.