इंफाल । मणिपुर विधानसभा चुनाव के लिए मतदान में कुछ ही दिन बाकी बचे हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के भीतर मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर विवाद देज हो गया है। चुनाव से पहले सीएम चेहरे की घोषणा नहीं करने के भाजपा हाईकमान के फैसले से इंफाल में अटकलें लगाई जा रही हैं कि पार्टी पिछले साल असम का अपना फॉर्मूला मणिपुर में भी दोहरा सकती है। चुनाव के नतीजे आने के बाद एन बीरेन सिंह की जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। असम में पिछले साल मई में लगातार दूसरी बार सत्ता में लौटने के बावजूद भाजपा नेतृत्व ने मौजूदा सीएम सर्बानंद सोनोवाल की जगह वरिष्ठ मंत्री हेमंत बिस्वा सरमा को मुख्यमंत्री बनाया था। ज्ञात हो कि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा के लिए दो चरणों में 28 फरवरी और 5 मार्च को मतदान होना है। जबकि, वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी।
इस मामले में कोई भी खुलकर बोलने से बच रहा है। बीरेन सिंह ने पिछले माह एक इंटरव्यू में कहा था कि ‘मुझे इस मामले में कुछ नहीं कहना है। यह पार्टी नेतृत्व को तय करना है कि वह किसे सीएम की कुर्सी पर रखना चाहता है। 2017 के विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए बीरेन सिंह का मुख्यमंत्री के रूप में पिछले पांच सालों में कोई अच्छा प्रदर्शन नहीं रहा है। 
भाजपा के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा गठबंधन सरकार के सीएम बने बीरेन सिंह का ज्यादातर समय विपक्षी कांग्रेस के विधायकों को भाजपा में शामिल करने और पार्टी और उसके सहयोगियों के भीतर से असंतोष को दूर करने में ही बीत गया। 2017 में भाजपा ने 21 सीटें जीतीं थीं, जो कांग्रेस से सात कम थी। इस चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, लेकिन 60 सदस्यीय सदन में बहुमत नहीं जुटा सकी। 
भाजपा ने नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) जैसे छोटे दलों के समर्थन से सरकार बनाई। इसके बाद जल्द ही कांग्रेस के कई विधायक भी भाजपा में शामिल हो गए। कहा जाता है कि 2017 में भाजपा को बीरेन सिंह की जरूरत थी। कुछ अड़चनों के बावजूद उन्होंने राज्य की पहली भाजपा सरकार को 5 साल पूरे करने में मदद की थी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि अगर अब भाजपा को अपने दम पर बहुमत मिलता है, तो भाजपा को उनकी जरूरत नहीं हो सकती है। बीरेन सिंह की जगह सीएम बनने के मुख्य दावेदारों में से एक राज्य कैबिनेट में असरदार मंत्री टीएच बिस्वजीत हैं। जो कई महत्वपूर्ण विभागों को संभालते हैं। बिस्वजीत 2017 में भी मुख्यमंत्री पद की दौड़ में शामिल थे।