भोपाल  मध्य प्रदेश में विधानसभा का बजट बिना चर्चा के ही पारित कराकर कार्यवाही को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने पर कांग्रेस की भूमिका पर सवाल खड़े होने लगे हैं। संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सदन के बाहर बयान दिया कि नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ और कांग्रेस विधायक दल के चीफ व्हीप डॉ. गोविंद सिंह की सहमति के बाद सत्र को अनिश्चतकाल के लिए स्थगित किए जाने का फैसला लिया गया है जिसे कांग्रेस के कुछ नेता दबी जुबान से सच बता रहे हैं। मगर कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सज्जन सिंह वर्मा ने इसे गलत बताया है और कहा कि कमलनाथ ने सत्र को छोटा बताते हुए पत्र लिखा था तो वे कैसे ऐसे सत्र समाप्ति पर सहमति दे सकते हैं।

कांग्रेस में पांच राज्यों में खराब प्रदर्शन से अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी में हाहाकार मचा है जिसकी परछायीं मध्य प्रदेश में दिखाई देने लगी है। विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ के नेतृत्व को भी कुछ चुनौती मिलने की संभावना दिखाई देने लगी है। आज बजट सत्र के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किए जाने के मुद्दे पर कांग्रेस की सहमति को लेकर सत्ता पक्ष ने कांग्रेस की आंतरिक कलह को उजागर कर दिया है। संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने नेता प्रतिपक्ष कमलनाथ और चीफ व्हीप डॉ. गोविंद सिंह की सहमति का बयान देकर इसमें घी डालने का काम किया है। 

सज्जन वर्मा ने गोविंद सिंह पर किया हमला

कमलनाथ समर्थक सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि डॉ. गोविंद सिंह गलत हैं क्योंकि कमलनाथ सत्र समाप्ति के लिए ऐसी सहमति नहीं दे सकते। कमलनाथ ने सत्र छोटा होने का  पत्र लिखा था और अब वे बजट पर चर्चा के बिना कैसे सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने पर सहमति दे सकते हैं।  वर्मा ने कहा कि सरकार चर्चा से भाग रही है। बजट जिस दिन पेश हुआ था उस दिन भी जल्दी स्थगित कर दी गई थी और उस दिन के पांच घंटे समायोजित किए जाने थे लेकिन साजिश कर सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया।

जीतू पटवारी ने कहा संसदीय कार्यमंत्री की गलती बयान

कांग्रेस विधायक जीतू पटवारी ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की सहमति के संसदीय कार्यमंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान सरासर गलत है। उन्होंने कहा कि सरकार चर्चा से भागती है। सदन की ताकत नेता प्रतिपक्ष होता है और वे सात दिन सत्र को बढ़ाए जाने का पत्र लिखने के बाद पहले खत्म करने पर सहमति क्यों देंगे। वहीं, सत्र को स्थगित करने  में कांग्रेस विधायक दल के चीफ व्हीप डॉ. गोविंद सिंह की सहमति पर जब उनसे चर्चा करने का प्रयास किया गया तो एक बार उनका मोबाइल बंद मिला और दूसरी बार किसी स्टाफ मेम्बर ने उठाकर एक घंटे बाद बात होने की जवाब दिया।