नई दिल्ली । भाजपा ने आजाद भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और विदेश नीति सहित अन्य कई मोर्चे पर नाकाम बताते हुए आरोप लगाया कि बतौर प्रधानमंत्री उनकी गलत नीतियों का खामियाजा देश को दशकों तक भुगतना पड़ा। दरअसल, आजादी के बाद 1951 से लेकर 1977 तक भारतीय जनसंघ और फिर 1980 के बाद से लेकर अब तक भारतीय जनता पार्टी के नेता लगातार जवाहरलाल नेहरू की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। 
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी और दीन दयाल उपाध्याय से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक जम्मू कश्मीर सहित अन्य कई मोर्चे पर देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। उनकी भूमिका को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी आलोचक की मुद्रा में ही रहा है और उन्हें देश की कई समस्याओं के लिए जिम्मेदार भी मानता रहा है।
भाजपा राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ल ने कहा बतौर प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू देश की आंतरिक एवं बाहरी सुरक्षा, विदेश नीति और देश की आर्थिक नीति से लेकर सामाजिक एवं धार्मिक नीति तक हर मोर्चे पर विफल प्रधानमंत्री साबित हुए और उनकी गलत नीतियों का खामियाजा देश को दशकों तक भुगतना पड़ा है।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा जम्मू कश्मीर के मोर्चे पर नेहरू ने एक के बाद एक कई गलतियां की। पहले उन्होंने जम्मू कश्मीर के महाराजा हरि सिंह के विलय के प्रस्ताव को सीधे स्वीकार करने की बजाय उसमें शेख अब्दुल्ला की भूमिका को शामिल कर दिया, उसके बाद हमारे देश की भूमि पर ही कब्जा होने के बावजूद उन्होंने स्वयं संयुक्त राष्ट्र में जाकर यहां जनमत संग्रह करवाने की बात कह दी। इसके बाद उन्होंने भारतीय संविधान में अनुच्छेद-370 और 35 ए को शामिल कर कश्मीर की समस्या को नासूर बना दिया।
भाजपा प्रवक्ता ने विदेश नीति के मोर्चे पर भी नेहरू को असफल बताते हुए कहा कि उन्होंने चीन पर ज्यादा भरोसा किया और तिब्बत को भी चीन का अंग स्वीकार कर लिया। संयुक्त राष्ट्र का स्थाई सदस्य बनने का मौका भी भारतीय झोली से छीनकर चीन को दे दिया और इसी चीन ने उनके प्रधानमंत्री रहते ही 1962 में भारत पर हमला कर यह बता दिया कि चीन को लेकर उनकी नीति कितनी गलत थी। यहां तक कि चीन से लड़ाई के दौरान भी भारतीय वायुसेना का इस्तेमाल न कर उन्होंने भारत की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया, जबकि उस समय हमारी वायुसेना काफी मजबूत थी जो चीन को सबक सिखा सकती थी।
शुक्ल ने कहा कि देश के आजाद होने के बाद उन्होंने अर्थव्यवस्था का सोवियत मॉडल अपनाया जिसकी वजह से भारत अपने पड़ोसी देशों यहां तक कि पाकिस्तान से भी पिछड़ गया और यह हालत 1991 तक बनी रही जब तक उदारीकरण और आर्थिक सुधार का रास्ता नहीं अपनाया गया। उन्होंने दावा किया कि 1991 तक आर्थिक विकास के तमाम मानदंडों में भारत पाकिस्तान की तुलना में पीछे था और कमजोर था। जवाहर लाल नेहरू पर हिंदू विरोधी होने का आरोप लगाते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि धर्म के आधार पर देश का विभाजन होने के बाद भारत में उन्होंने हमेशा बहुसंख्यक हिंदू समाज को दबाने और उत्पीड़ित रखने का प्रयास किया।