भोपाल । मध्यप्रदेश शासन ने 7 अगस्त 2016 को आदेश जारी करके समस्त विभाग अध्यक्ष एवं कलेक्टरों को आदेश दिया था कि विभागों में रिक्त पदों पर स्थाई कर्मियों को नियमित नियुक्तियां दी जाएं। लेकिन आदेश के 6 साल बाद भी प्रदेश के 62 विभागों में पद रिक्त होने के बावजूद भी नौकरशाही ने एक भी स्थाई कर्मी को योग्यता एवं वरिष्ठता तथा प्राथमिकता के आधार पर नियमित नियुक्ति नहीं दी है। जिससे प्रदेश के 48000 स्थाई कर्मियों में भयंकर आक्रोश व्याप्त है। मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि प्रदेश के 62 विभागों में एक लाख से अधिक पद रिक्त हैं और सुप्रीम कोर्ट के शासन के स्पष्ट आदेश है कि रिक्त पदों पर स्थाई कर्मियों, अनियमित कर्मचारियों को नियमित नियुक्ति दी जाए। लेकिन नौकरशाही अपनों को उपकृत करने के लिए एवं भ्रष्टाचार करने के लिए सीधी भर्ती कर रही है कि विभागों में स्थाई कर्मी संविदा कर्मचारी कंप्यूटर ऑपरेटर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता 10-10 और 20-20 सालों से अपनी सेवा दे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट का भी आदेश है कि 10 साल की सेवा कर चुके अनियमित कर्मचारी को विभाग के रिक्त पद पर नियमित नियुक्ति दी जाए। लेकिन प्रदेश की नौकरशाही सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन कर रही है। मध्य प्रदेश सरकार के आदेश का भी पालन नहीं कर रही है और अनियमित कर्मचारियों के नियमितीकरण में बड़ा रोड़ा बनी हुई है। मध्य प्रदेश कर्मचारी मंच ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि प्रदेश के 62 विभागों में रिक्त पदों पर विभागों में कार्यरत स्थाई कर्मियों संविदा कर्मचारियों आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं कंप्यूटर ऑपरेटरों आदि को तत्काल नियमित नियुक्ति दी जाए और सीधी भर्ती पर रोक लगाई जाए।