नई दिल्ली । हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट पर कांग्रेस की हार के बाद पार्टी में एक बार फिर घमासान शुरू हो गया है। कुछ महीने पहले हुड्डा कैंप के दबाव की वजह से प्रदेश अध्यक्ष का पद छोड़ने को मजबूर हुईं कुमारी शैलजा ने मोर्चा खोल दिया है। दलित नेता शैलजा ने हुड्डा कैंप पर हमला बोलते हुए कहा कि चुनाव में प्रचार की कमान तो एक ही परिवार के हाथ में थी। इस चुनाव में ऐसा लगा कि एक ही परिवार चुनाव लड़ रहा है। कुमारी शैलजा ने कहा कि कांग्रेस कहीं से भी राष्ट्रीय पार्टी जैसी नहीं दिखी, जिसमें सभी वर्गों का प्रतिनिधित्व हो।
उनका बयान हार के ठीक एक दिन बाद सामने आया। आदमपुर सीट के उपचुनाव की कमान भूपिंदर सिंह हुड्डा और उनके बेटे दीपेंदर हुड्डा के हाथों में थी। कैंडिडेट भी हुड्डा कैंप के जयप्रकाश को बनाया गया था। कुमारी शैलजा ने कहा चुनाव में उम्मीदवार सेलेक्शन से लेकर प्रचार तक में ऐसा लगा कि यह एक परिवार का मसला है। पूरी पार्टी कहीं नहीं दिखी। खट्टर सरकार से लोग नाराज हैं, लेकिन उसके बाद भी कांग्रेस को हार मिली तो इसकी वजह यही रही है। 
बता दें कि कुमारी शैलजा से अध्यक्ष के तौर पर इस्तीफा लेकर हाईकमान ने हु्ड्डा कैंप के नेता उदयभान को मौका दिया है। यही नहीं हुड्डा को महत्व मिलने से नाराज होकर ही कुलदीप बिश्नोई ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने का फैसला लिया। उन्हीं के इस्तीफे से खाली आदमपुर सीट से उनके बेटे भव्य बिश्नोई को भाजपा के टिकट पर जीत मिली है।
उधर, भूपिंदर हुड्डा ने इस मसले पर शैलजा के आरोपों का जवाब नहीं दिया है। हुड्डा ने कहा इन चुनाव नतीजों में भले ही भाजपा जीत गई है, लेकिन उसका वोट कम हुआ है। हुड्डा ने कहा कि इसी सीट पर 2014 के विधानसभा चुनाव में कुलदीप बिश्नोई की पार्टी हरियाणा जनहित कांग्रेस ने चुनाव जीता था। तब कांग्रेस को महज 10 हजार वोट ही मिले थे। लेकिन इस बार कांग्रेस का ग्राफ तेजी से बढ़ा है और 50 हजार वोट मिले हैं। वहीं भाजपा और बिश्नोई मिलकर भी करीबी अंतर से ही जीत हासिल कर सके। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी की ओर से तमाम दावे किए जा रहे थे, लेकिन वह 4 हजार वोट भी नहीं पा सकी। इसके अलावा इंडियन नेशनल लोकदल को भी 5,000 से कम वोट मिले। हुड्डा ने कहा कि इससे पता चलता है कि भाजपा का मुकाबला हरियाणा में सिर्फ कांग्रेस ही कर सकती है।