नई दिल्ली । दिल्ली प्रदेश कांग्रेस की अनुशासनात्मक समिति ने दलबदलू नेताओं को छह साल के लिए निष्कासित कर दिया है। समिति अध्यक्ष डा नरेन्द्र नाथ ने कहा कि सभी सदस्यों के साथ विचार विमर्श करने के बाद सर्वसम्मति से यह फैसला लिया गया कि दूसरी पार्टियों में शामिल होने वाले सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी की सदस्यता से छह साल के लिए निष्कासित किया जाता है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस एक विचारधारा है जिसमें अनुशासन सर्वोपरि है, जिसका निष्ठापूर्वक पालन करना सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं का कर्तव्य है। डा. नरेंद्र नाथ ने कहा कि कांग्रेस इस बार उन्हीं कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ाने में तरजीह देगी जिन्होंने कांग्रेस के लिए काम करने के साथ-साथ ही आम आदमी पार्टी और भाजपा की जन विरोधी नीतियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सेदारी निभाई है। उन्होंने कहा कि कोविड महामारी के समय जमीनी स्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ताओं को भी प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने कहा कि सत्ताधारी दलों में अवसर प्राप्ति और चकाचौंध में आकर कांग्रेस छोड़कर गए कार्यकर्ताओं की वापसी पार्टी को नुकसान पहुंचा सकती है, इसीलिए उन्हें निष्किसित करने का कठोर निर्णय लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी छोड़ चुके कांग्रेस नेता व कार्यकर्ता जो चुनाव के समय टिकट की अपेक्षा रखने के लिए पार्टी में आना चाहते हैं, उन्हें पहले पार्टी में आवेदन कर पार्टी शामिल होना पड़ेगा। पार्टी की सदस्यता ग्रहण करने के बाद ही उनके चुनाव लड़ने के दावे पर विचार किया जा सकता है। दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष अनिल चौधरी ने बुधवार को एक आदेश निकालकर शिवम भगत, संजय बगाडि़या, दीपक मिश्रा और कुंवर शहजाद अहमद को प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया पैनालिस्ट के तौर पर नियुक्ति दी है। गौरतलब है कि अगले 2 महीनों के दौरान दिल्ली नगर निगम चुनाव होने हैं, ऐसे में कांग्रेस संगठन को चुस्त दुरुस्त करने की तैयारी कर रही है।