गोरखपुर । उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बाद कुछ सीटों पर उपचुनाव के भी आसार बन रहे हैं। इसकी वजह है कि सांसद अखिलेश यादव, सांसद आजम खां विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं। कई विधान परिषद सदस्य भी भाजपा व सपा से मैदान में उतर चुके हैं। यह ‘माननीय’ चुनाव जीतते हैं तो वे दोनों में किसी एक सीट से इस्तीफा देंगे। ऐसे में इन रिक्त सीटों पर उपचुनाव होगा। सांसद व एमएलसी के साथ साथ  विधानसभा सीट के लिए उतरे इन नेताओं के चुनाव पर सबकी नजर है। विधान परिषद सदस्य के तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मैदान में हैं जो गोरखपुर शहर की सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े रहे हैं तो उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य भी सिराथु सीट से मैदान में हैं। इन दोनों का विधान परिषद में कार्यकाल छह जुलाई 2022 तक है। ऐसे में यह दोनों जीतने पर एमएलसी सीट से इस्तीफा देंगे लेकिन इन पर उपचुनाव शायद न हो क्योंकि कार्यकाल काफी कम वक्त का बचा है। सपा के एमएलसी संजय लाठर मथुरा की मांठ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। वह  सपा रालोद गठबंधन के प्रत्याशी हैं। इनका कार्यकाल इसी साल 26 मई को ही खत्म हो रहा है। भाजपा  प्रत्याशी के तौर पर ठाकुर जयवीर सिंह बरौली से चुनाव लड़ रहे हैं। उनका विधान परिषद में कार्यकाल 5 मई 2024 तक है। उनकी सीट रिक्त हुई तो यहां उपचुनाव कराया जाएगा। इसी तरह भाजपा के एमएलसी सलिल विशनोई चुनाव लड़ रहे हैं। उनका कार्यकाल 31 जनवरी 2027 तक है। वह कानपुर की सीसामऊ से भाजपा प्रत्याशी हैं। वर्ष 2017 के चुनाव के वक्त योगी आदित्यनाथ गोरखपुर से व केशव प्रसाद मौर्य फूलपुर से सांसद थे। जब योगी मुख्यमंत्री व मौर्य उपमुख्यमंत्री बने तो उनकी रिक्त सीट पर गोरखपुर व फूलपुर में लोकसभा उपचुनाव कराया गया था। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद कई विधायकों के सांसद बन जाने के कारण उपचुनाव हुआ था। समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव मैनपुरी की करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। विधानसभा के लिए यह उनका पहला चुनाव है जबकि वह आजमगढ़ से सांसद हैं। करहल से जीत की सूरत में उन्हें विधायक व सांसद पद में किसी एक सीट से इस्तीफा देना होगा। 10 मार्च के बाद चुनाव नतीजे आने के बाद ही वह इस पर निर्णय लेंगे। अगर वह लोकसभा सीट छोड़ते हैं तो उस पर उपचुनाव होगा। लोकसभा का आम चुनाव 2024 में होना है। सपा के विशम्भर प्रसाद निषाद राज्यसभा सांसद हैं और उनका कार्यकाल 4 जुलाई 2022 तक ही है। सपा ने उन्हें फतेहपुर की अयाहशाह सीट से मैदान में उतारा है। एसपी सिंह बघेल आगरा से भाजपा सांसद हैं और केंद्रीय मंत्री भी। अब वह करहल विधानसभा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। जहां से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मैदान में हैं। इस तरह करहल सीट से दो सांसद आमने-सामने आ गए हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने पांचवें चरण के लिए सर्वाधिक ब्राह्मणों को मैदान में उतार कर बड़ा दांव खेला है। यही वह चरण है, जिसमें राम जन्मभूमि क्षेत्र अयोध्या से लेकर अवध तक चुनाव होना है। राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने चुनावी माहौल बनाने के लिए सर्वाधिक बैठकें भी इन्हीं क्षेत्र में की हैं। उनकी रिपोर्ट और क्षेत्रीय संतुलन के आधार पर ही सर्वाधिक ब्राह्मणों को टिकट देने का कारण माना जा रहा है। बसपा पहले चार चरणों की 232 सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी थी। इन चारों चरणों में केवल 27 ब्राह्मणों को टिकट दिया गया था, लेकिन पांचवें चरण की 61 सीटों के लिए जारी सूची में ही एक साथ 22 ब्राह्मणों को टिकट दिया गया। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके पीछे बड़ी रणनीति है। इससे अब यह भी अंदाजा लगाया जाने लगा है कि शेष बचे दो चरणों की जो सूची जारी होने वाली है, उसमें ब्राह्मणों की हिस्सेदारी और बढ़ेगी। छठा और सातवां चरण पूर्वांचल का है।