भोपाल। मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविंद सिंह, पूर्व मंत्री एवं विधायकद्वय सज्जन सिंह वर्मा और जीतू पटवारी ने आज विधानसभा परिसर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बताया कि हाल ही में प्रदेश सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग में हुआ पोषण आहार घोटाले में व्यापक पैमाने पर भ्रष्टाचार उजागर हुआ है। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि लगभग पांच हजार करोड़ रूपये का पोषण आहार घोटाला सामने आया है। यह घोटाला मार्च 2020 से जुलाई 2020 की अवधि के दरम्यान हुआ है, जब समूचे प्रदेश में पूर्ण रूप से लॉकडाउन लगा हुआ था। इस दौरान महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा पोषण आहार पर 2 अरब 8 करोड़ 39 लाख 68 हजार रूपये पोषण आहार पर व्यय किये गये हैं, इसी अवधि में टेक होम राशन वितरण पर 89 करोड़ 44 लाख 77 हजार व्यय किये गये, जिसमें पोषण आहार के नाम पर भिण्ड जिले में सत्तू और लड्डू वितरण पर 5 करोड़ करोड़ 70 लाख एवं टेक होम राशन पर 1 करोड़ 85 लाख से अधिक की राशि लॉकडाउन अवधि में व्यय की गई। यह जानकारी तत्कालीन महिला एवं बाल विकास विभाग की मंत्री द्वारा विधानसभा के प्रश्न क्रमांक 738 में सज्जनसिंह वर्मा के प्रश्न के उत्तर में 23 सितम्बर 22 को दी गई है।
श्री पटवारी ने कहा कि सवाल यह उठता है कि अब जब लॉकडाउन अवधि में परिवहन का आना-जाना बंद था तो ऐसी स्थिति में यह पोषण आहार एवं टेक होम राशन किसे बांटा गया, यह जांच का विषय है। एजी की रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख किया गया है कि पोषण आहार एवं टेक होम राशन वितरण में फर्जीवाड़ा किया गया है। इस तरह लगभग पांच हजार करोड़ रू. का घोटाला उजागर हुआ है, जिसके मुखिया शिवराजसिंह चौहान स्वयं हैं।
श्री पटवारी ने कहा कि पोषण आहार बांटने में बड़ी गड़बड़ियां सामने आई हैं। अकाउंट जनरल की ऑडिट रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि 110.83 करोड़ रू. का पोषण आहार तो सिर्फ कागजों में ही बंट गया है, जिन ट्रकों से पोषण आहार परिवहन बताया गया, वे मोटर साईकिल और स्कूटर निकले हैं, जिसके परिवहन के लिए कंपनियों को 7 करोड़ रू. भी महिला बाल विकास विभाग के अफसरों ने दे दिये। करीब 87 हजार मेट्रिक टन पोषण आहार बांटना बताया गया गया है जिसमें से 10 हजार टन गायब था, जिसकी कीमत करीब 62 करोड़ रू. आंकी गई हैं, जिसके लिए जिम्मेदार किसी अधिकारी से इस संबंध में पूछताछ भी नहीं की गई।
 श्री पटवारी ने कहा कि बिना सर्वे के हितग्राही बनाए गये, विभाग ने स्कूल नहीं जाने वाली छात्राओं की संख्या का बिना बेसलाइन सर्वें कर राशन बांट दिया। वहीं 58 करोड़ का नकली उत्पादन किया होना बताया गया है। छह फर्मों में गड़बड़ी, कागज में सप्लाई जिसमें धार, मंडला, रीवा, सागर और शिवपूरी में गड़बड़ी पायी गई।
श्री पटवारी ने कहा कि टेक होम राशन के पोषण मूल्य का आकलन करने के लिए सेंपल की गुणवत्ता जांच में भी लापरवाही बरती गई हैं। लाभार्थियों को खराब गुणवत्ता का टेक होम राशन मिला है। उन्होंने कहा कि इस घोटाले में बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी, के मामले सामने आये हैं, सीडीपीओ, डीपीओ, प्लांट अधिकारी और परिवहन की व्यवस्था करने वाले अधिकारी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से धोखाधड़ी में शामिल थे।
श्री पटवारी ने कहा कि डंपर घोटाला, व्यापम कांड, होशंगाबाद में रेत घोटाला, गृह निर्माण समिति घोटाला, ई-टंेडर घोटाला, सिंहस्थ घोटाला, नर्मदा परिक्रमा घोटाला, प्लांटेशन घोटाला, प्याज घोटाला, बुंदेलखंड पैकेज घोटाला, उद्यानिकी घोटाला, घटिया चावल सप्लाई घोटाला, खासगी होलकर ट्रस्ट घोटाला, बिजली खरीदी घोटाला, ट्रांसफर-पोस्टिंग घोटाला, आटा चोरी घोटाला, त्रिकूट चूर्ण घोटाला, शराब एमआरपी घोटाला, शासकीय खरीदी में घोटाला, फर्जी बिजली बिल घौटाला, पीपीई किट घोटाला, मध्यान्ह भोपाल घोटाला, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि घोटाला, सौभाग्य योजना घोटाला, किसानों की सब्सिडी हड़पने का घोटाला, प्रधानमंत्री कृषि विकास योजना घोटाला, बायो-फर्टिलाईजर घोटाला और प्रवासी मजदूर खाना घोटाला जैसे अनेकों घोटालों की 18 वर्षों की लंबी फेहरिस्त शिवराज सरकार की है।
श्री पटवारी ने कहा कि लच्छेदार भाषणों और अपने आप को गरीब किसान का बेटा बताकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा भ्रष्टाचार की पुरानी गाथा है, सभी विभागों में भ्रष्टाचार की फाइलें उजागर हुई हैं। विदिशा का वेयर हाउस पर बनी विशालकाय डेयरी, ससुराल गोंदिया में रिश्तेदारों की संपत्ति, भोपाल में रिश्तेदारों की संपत्ति इतिहास में दर्ज हो चुके हैं। शिवराज जी झूठ और पाखंड की पराकाष्ठा हैं।