भोपाल । कोरोना के कारण पिछले दो साल से पूरे देश में आर्थिक मंदी का माहौल है। मप्र भी इससे अछूता नहीं है। लेकिन इस कठिन दौर में भी प्रदेश के छोटे और मझोले उद्योग पूरी ताकत के साथ खड़े रहे। इन उद्योगों ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था को संबल तो दिया है, साथ ही लाखों लोगों को बेरोजगार नहीं होने दिया।
गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों के दौरान सरकार ने एमएसएमई सेक्टर पर सबसे अधिक जोर दिया है। तीन सालों की बात करें तो राज्य में डेढ़ लाख से अधिक एमएसएमई स्थापित हुए और इनमें लाखों लोगों को रोजगार मिला। कोरोना की पहली लहर के दौरान बड़े उद्योगों की स्थिति जब खराब हुई थी, एमएसएमई सेक्टर ने प्रदेश की अर्थव्यवस्था का बूस्टर दिया।
कोरोना काल में एमएसएमई में होते रहे उत्पादन
छोटे और मझोले उद्योगों की बात करें तो कोरोना काल में प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर जैसे बड़े शहरों और आसपास इनकी स्थापना अधिक हुई। एसो. ऑफ ऑल इंडस्ट्रीज मण्डीदीप अध्यक्ष राजीव अग्रवाल कहते हैं कि कोरोना की पहली लहर के दौरान उत्पादन कुछ प्रभावित हुआ, लेकिन दूसरी लहर में इसका असर नहीं दिखा। एमएसएमई पूरी ताकत के साथ खड़े रहे। यहां रोजगार सुरक्षित रहा। पीएचडीचेम्बर ऑफ कॉमर्स के एडवाइजर आरजी द्विवेदी कहते हैं कि कोरोना काल के कठिन दौर में एमएसएमई प्रभावित तो हुए, लेकिन यहां उत्पादन बंद नहीं हुआ। ये 40-60 प्रतिशत क्षमता से उत्पादन कर रहे थे। इससे खर्चे निकलते रहे। इन इकाइयों में काम कर रहे लोगों के रोजगार भी सुरक्षित रहे।
मजदूरों का पलायन नहीं होने दिया
कोरोना की पहली लहर में मजदूरों का पलायन होने से ज्यादातर उद्योग प्रभावित हुए। हालांकि समय के साथ स्थितियों में सुधार आया। कोरोना की दूसरी लहर के लिए उद्योग पहले से तैयार थे। मजदूरों का पलायन नहीं होने दिया। उद्योगों में उत्पादन सामग्री की डिमांड कम होने के बावजूद भी उत्पादन जारी रखा। राजधानी भोपाल के करीब स्थित मण्डीदीप औद्योगिक क्षेत्र की बात करें तो यहां के उद्योगों ने इतना अधिक उत्पादन कर लिया कि  उनके लिए रैक कम पड़ रहे हैं। इन्होंने सरकार से मांग की है कि उन्हें प्रतिमाह पांच हजार कंटेनर उपलब्ध कराए जाएं, लेकिन इन्हें 2400 कंटेनर ही प्रतिमाह मिल रहे हैं। मालूम हो कि यहां का माल देश सहित विदेशों में सप्लाई होता है इस औद्योगिक क्षेत्र में 4 हजार एमएसएमई हैं, जबकि बड़े उद्योगों की संख्या करीब 40 है।