भोपाल ।   भोपाल के बड़े ताल में जहां कैचमेंट क्षेत्र में भी सीमेंट या अरसीसी की छत नहीं होना चाहिए। वहीं भोपाल तालाब में चार पिलर खड़े हुए हैं अौर उसमें पक्का निर्माण है। इतना ही नहीं उसमें पक्की छत भी बना ली गई है। हम इसका विरोध करने वाले हैं। यह कहना है भोपाल की सांसद साध्वी प्रज्ञा सिंह का। शुक्रवार को होटल नूर उस सबाह में आयोजित एक बैठक के बाद उन्हाेंने यह बातें कहीं। उन्हाेंने कहा कि जनता तैयार है और जल्द ही आंदोलन भी होने वाला है। प्रशासन समझ जाए और अांदोलन न हो। दरअसल सांसद का इशारा करबला स्थित मजार की ओर था। उन्होंने कहा कि किसी के भी देवी-देवता का स्थान पाथ वे पर हो ही नहीं सकता, यह अपमान है। यदि मुस्लिम धर्मावलंबी समझें, तो इसको अपमान समझें और इसको स्वयं हटा लें। नहीं तो प्रशासन को हटाना चाहिए। मैं किसी के भी धार्मिक स्थल का। चाहे वो किसी का भी हो। अपमान बिल्कुल भी नहीं करना चाहती हूं। मैं भोपाल को बड़ा शांत, सुसज्जित और संस्कारित देखना चाहती हूं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि हलाली डैम का नाम भी बदलना चाहिए। भोपाल में कई एेसी जगहें हैं, जो हमें क्रूरतम इतिहास की याद दिलाती हैं। इनके नाम बदले जान चाहिए।

भोजपाल सुसंस्कृत व भोपाल बिगड़ा हुआ शब्द

भोपाल और भोजपाल और भोजपाल और भोपाल में बहुत अंतर नहीं है। राजा भोज की नगरी है, इसलिए भोपाल कह लें या भोजपाल कर लें, ज्यादा अंतर नहीं है। लेकिन भोजपाल एक सुसंस्कृत शब्द है और भोपाल उसका बिगाड़ा हुआ नाम है। गौरतलब है कि इसके एक दिन पहले भी नगर निगम परिषद की बैठक में साध्वी ने भोपाल स्थित लालघाटी और हलालपुर बस स्टैंड का नाम बदलने की मांग की थी। हालांकि बाद में जब उन्हें पता चला कि इन जगहों के नाम पहले ही बदले जा चुके हैं, तो उन्होंने बदले नामों को प्रचलन में लाने की बात भी कही।